बख़ूबी उसके इरादों को परखती रहती हूं, वो चांद औ | हिंदी कविता Video

" बख़ूबी उसके इरादों को परखती रहती हूं, वो चांद और मैं इस चांद को तकती रहती हूं, खुली आंखों में कई सवाल तब घेरा करते हैं, ख़ामोशी से अक्सर यूँ हीं हम सवेरा करते हैं, ©deepshi bhadauria "

बख़ूबी उसके इरादों को परखती रहती हूं, वो चांद और मैं इस चांद को तकती रहती हूं, खुली आंखों में कई सवाल तब घेरा करते हैं, ख़ामोशी से अक्सर यूँ हीं हम सवेरा करते हैं, ©deepshi bhadauria

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