जब अलमारी के ,
पिछले वाले खाने से,
मिलती है एक पसंदीदा किताब,
जो जाने कब से खो गयी थी,
तो अच्छा लगता है ,
उसका यूँ मिल जाना,
तो अच्छा लगता है उसपर से हटाना,
धूल की असंख्य परत,
याद करते हुए जब पहली बार,
उसके आते ही चहक उठा था मन,
जब उसके पन्नों में खोये हुये,
ठंडी हो जाती थी मेरी चाय,!!
©Meenakshi Raje
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