नव -संवत्सर भर उर लाया,स्वप्न - नवल , अभिलाष म | हिंदी कविता

"नव -संवत्सर भर उर लाया,स्वप्न - नवल , अभिलाष मंगलमय,सुखकर,शुभ-घड़ियाँ,जीवन -जय - उल्लास, कलह-क्लेश-तम-अवगुण को हर,चैन ह्रदय को देने ज्योति नयन को, हास अधर को, टूटे दिल को आस। ©Anil Mishra Prahari"

 नव -संवत्सर भर उर  लाया,स्वप्न - नवल , अभिलाष 
  मंगलमय,सुखकर,शुभ-घड़ियाँ,जीवन -जय - उल्लास, 
 कलह-क्लेश-तम-अवगुण को हर,चैन  ह्रदय  को  देने 
  ज्योति नयन को, हास अधर को, टूटे दिल  को  आस।

©Anil Mishra Prahari

नव -संवत्सर भर उर लाया,स्वप्न - नवल , अभिलाष मंगलमय,सुखकर,शुभ-घड़ियाँ,जीवन -जय - उल्लास, कलह-क्लेश-तम-अवगुण को हर,चैन ह्रदय को देने ज्योति नयन को, हास अधर को, टूटे दिल को आस। ©Anil Mishra Prahari

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