तुम तुम्हारी रखो और हम हमारी रखते हैं
चलो कंधों पे अपनी अपनी जिम्मेदारी रखते हैं
न कहीं मकां जलें न दुकां जलें न कहीं दिल
ज़ुबां पे राम-रहीम-ईश जोहार बारी बारी रखते हैं
गुलिस्तां एक ही गुल से गुलशित नहीं होता है
चलो कहीं पे हरा पीला नारंगी क्यारी रखते हैं
अपना बजूद खो ना दे सियासत के चक्कर में
चलो सब कोई अपनी अपनी दावेदारी रखते हैं
प्यार मोहब्बत के बिस्तर पे नींद सुकुं की होगी
चलो सपने में सब ख्वाब मेयारी मेयारी रखते हैं
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©Harlal Mahato
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