जब हम छोटे थे तो कितना मुस्कराते थे खूब मजे करते थे और अब ऐसे मोड़ पर आ गए है की मुस्कराना तो दूर जीवन मजबूर सा लगने लगा है कितने बुजदिल हो गए लोग अपना कहकर अपनो को भूल जाते है अपनो के साथ ही दगाबाज करते है और फिर उन्हीं से उम्मीद लगाते है की ये हमारी नोका में सवार होकर फिर से चलेंगे इनकी नाव में सवार होकर दरिया के किनारे लगने से अच्छा है हम खुद ही अपने को दर किनारा कर ले लोगो ने हमको दुःख दिया हम उनको उनकी खुशी दे दे उनकी जिंदगी पर बोझ बनने से अच्छा है हम उनके जीवन को आजाद कर दे!!! हे! ईश्वर आपसे प्रार्थना है हमको अकेले जीवन जीना का एक पत्र दे हमे वो पैगाम दे जिसको देखने के लिए हमारी आंखे तरसती है सब कुछ अपना हो खुद का किया हुआ हो और हमारी खुशी में शामिल होने वाले आप हो.......
©shivani Dhiman
#kinaara VINAY PANWAR 🇮🇳INDIAN ARMY💕💕 @suresh anjaan पंडित जी बनारस वाले कुमार रंजीत (मनीषी) @Amit maurya