green-leaves भले ही हम दौलत से गरीब हैं। ख्वाहिशो | हिंदी Shayari

"green-leaves भले ही हम दौलत से गरीब हैं। ख्वाहिशों से बहुत अमीर हैं हम तस्वीर का कुछ भी इल्म नहीं है। मगर किसी ख्वाब की ताबीर है हम। भटकता नहीं किसी भी सफर मे तन्हा। क्योंकि खुद कैदी खुद की जंजीर हैं हम ©तन्हा शायर"

 green-leaves भले ही हम दौलत से गरीब हैं।
 ख्वाहिशों से बहुत अमीर हैं हम 

 तस्वीर का कुछ भी इल्म नहीं है।
 मगर किसी ख्वाब की ताबीर है हम।

 भटकता नहीं किसी भी सफर मे तन्हा।
 क्योंकि खुद कैदी खुद की जंजीर हैं हम

©तन्हा शायर

green-leaves भले ही हम दौलत से गरीब हैं। ख्वाहिशों से बहुत अमीर हैं हम तस्वीर का कुछ भी इल्म नहीं है। मगर किसी ख्वाब की ताबीर है हम। भटकता नहीं किसी भी सफर मे तन्हा। क्योंकि खुद कैदी खुद की जंजीर हैं हम ©तन्हा शायर

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