Before reading a book......
किसी एक किताब को मित्र बनाओं
फिर उसे गले लगाओं फिर
उससे बातें करो
फिर उसे पढ़ना शुरू करो
फिर देखो उसे कि वह कितनी पीड़ा या ज्ञान दायिनी हैं
(पीड़ा मतलब किसी लेखक के जीवन का ऐसा दर्द
जो वह अपनी कलम को पन्नों के हाथों सौंप
अपने स्याही का छिड़काव उन कोरे पन्नों पर करता हैं
जो निर्जीव पन्नों को भी अपने सुख- दुखों से
उस पाठक के मन को रोमांचित करता हैं
जिन शब्दों में असल में वह सजिवता डाल
उन पाठकों की असल जिंदगी कह देता हैं )
ज्ञानी (जिससे हमें सिख मिले जिंदगी के कठीन से कठीन समस्याओं से लड़ने की )
किताब भी मित्र बन सकती
अगर पाठक उसे अपने सच्चे प्रेमी की तरह चुम कर बोरियत महसूस न करे ।
~ तनुश्री कुकडे 🕊️
©Tanushree_kukade
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