कमलेश,कुछ इस तरह उलझ गया हूँ जिंदगी से। कि निजात म | हिंदी शायरी

"कमलेश,कुछ इस तरह उलझ गया हूँ जिंदगी से। कि निजात मिलती नहीं अहसासों की गंदगी से। ©Kamlesh Kandpal"

 कमलेश,कुछ इस तरह उलझ गया हूँ जिंदगी से।
कि निजात मिलती नहीं अहसासों की गंदगी से।

©Kamlesh Kandpal

कमलेश,कुछ इस तरह उलझ गया हूँ जिंदगी से। कि निजात मिलती नहीं अहसासों की गंदगी से। ©Kamlesh Kandpal

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