इंसान हो चुके हैं इतने गंदे कि चित्र तक सिमट गये | हिंदी कविता

"इंसान हो चुके हैं इतने गंदे कि चित्र तक सिमट गये परिंदे जलवायु बिगड़ी,बड़ रहा तापमान भोग में डूब चुका इस तरह इंसान ©Kamlesh Kandpal"

 इंसान हो चुके हैं इतने गंदे 
कि चित्र तक सिमट गये परिंदे 
जलवायु बिगड़ी,बड़ रहा तापमान 
भोग में डूब चुका इस तरह इंसान

©Kamlesh Kandpal

इंसान हो चुके हैं इतने गंदे कि चित्र तक सिमट गये परिंदे जलवायु बिगड़ी,बड़ रहा तापमान भोग में डूब चुका इस तरह इंसान ©Kamlesh Kandpal

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