यह कश्ती भँवर में फँस ही नहीं सकती, इसे उतारा ही | हिंदी शायरी

"यह कश्ती भँवर में फँस ही नहीं सकती, इसे उतारा ही दलदल में गया था| @सुरेश कुमार 'विद्रोही' . ©sk thinker"

 यह कश्ती भँवर में फँस ही नहीं सकती, 
इसे उतारा ही दलदल में गया था|

@सुरेश कुमार 'विद्रोही'













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©sk thinker

यह कश्ती भँवर में फँस ही नहीं सकती, इसे उतारा ही दलदल में गया था| @सुरेश कुमार 'विद्रोही' . ©sk thinker

#Memories

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