चले परदेस में अब हम शहर बेगाना लगता हैं नहीं कीमत | हिंदी Shayari

"चले परदेस में अब हम शहर बेगाना लगता हैं नहीं कीमत यहां कोई दिल पर हर्ज़ाना लगता हैं, सितम खाएं हैं जो दिल ने दवा उसकी नहीं कोई कहें किसको ये दिल अपना सब तो बेगाना लगता हैं। ©Savitri Parveen Kumar"

 चले परदेस में अब हम शहर बेगाना लगता हैं नहीं कीमत यहां कोई दिल पर हर्ज़ाना लगता हैं, सितम खाएं हैं जो दिल ने दवा उसकी नहीं कोई कहें किसको ये दिल अपना सब तो  बेगाना लगता हैं।

©Savitri  Parveen Kumar

चले परदेस में अब हम शहर बेगाना लगता हैं नहीं कीमत यहां कोई दिल पर हर्ज़ाना लगता हैं, सितम खाएं हैं जो दिल ने दवा उसकी नहीं कोई कहें किसको ये दिल अपना सब तो बेगाना लगता हैं। ©Savitri Parveen Kumar

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