White शहर की रात और मैं नाशाद ओ नाकारा फिरूँ जगमग | हिंदी Shayari

"White शहर की रात और मैं नाशाद ओ नाकारा फिरूँ जगमगाती जागती सड़कों पे आवारा फिरूँ ग़ैर की बस्ती है कब तक दर-ब-दर मारा फिरूँ ऐ ग़म-ए-दिल क्या करूँ ऐ वहशत-ए-दिल क्या करूँ ©Z Rahman"

 White शहर की रात और मैं नाशाद ओ नाकारा फिरूँ 
जगमगाती जागती सड़कों पे आवारा फिरूँ 
ग़ैर की बस्ती है कब तक दर-ब-दर मारा फिरूँ 
ऐ ग़म-ए-दिल क्या करूँ ऐ वहशत-ए-दिल क्या करूँ

©Z Rahman

White शहर की रात और मैं नाशाद ओ नाकारा फिरूँ जगमगाती जागती सड़कों पे आवारा फिरूँ ग़ैर की बस्ती है कब तक दर-ब-दर मारा फिरूँ ऐ ग़म-ए-दिल क्या करूँ ऐ वहशत-ए-दिल क्या करूँ ©Z Rahman

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