मेरी अक्सर शांत पानियों से बात होती है लेकीन उसकी | हिंदी Poetry Video

"मेरी अक्सर शांत पानियों से बात होती है लेकीन उसकी गहराइयों से कहां देखता हूं जी भर के उसे पर उसके इरादों को कहां फिर मिला शाम को नदी के पानी से उसके खौफनाक रूप में सुबह की मासूमियत कहां और जब दोपहर को मिला गुस्सैल बड़ी शाम की तरह ठंडापन कहां सुबह से लेकर शाम तक चंचलता भरी रात होते ही उसकी दौड़ कहां बहता चला, चलता ही चला कहीं शांत रहा, कहीं बहाव तेज रखा, कहीं डर दिखा तो, कहीं अमृत की तरह देव वरदान दिखा ⭐ ©Rudra Pratap Pandey "

मेरी अक्सर शांत पानियों से बात होती है लेकीन उसकी गहराइयों से कहां देखता हूं जी भर के उसे पर उसके इरादों को कहां फिर मिला शाम को नदी के पानी से उसके खौफनाक रूप में सुबह की मासूमियत कहां और जब दोपहर को मिला गुस्सैल बड़ी शाम की तरह ठंडापन कहां सुबह से लेकर शाम तक चंचलता भरी रात होते ही उसकी दौड़ कहां बहता चला, चलता ही चला कहीं शांत रहा, कहीं बहाव तेज रखा, कहीं डर दिखा तो, कहीं अमृत की तरह देव वरदान दिखा ⭐ ©Rudra Pratap Pandey

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