Unsplash चलो बुनते हैं कुछ जज़्बात जुकाम है लगी ह | हिंदी शायरी

"Unsplash चलो बुनते हैं कुछ जज़्बात जुकाम है लगी हुई, होने वाली है रात। दीवार की ओट में थोड़ी सेंक लेते हैं धूप जमा हुआ कफ निकल रहा है सांसों को मिल रही है गर्मागर्म सौगात। कपड़े लपेटने से सर्दी नहीं जाती यह तो बस एक दिखावटी सी बात खाने-पीने से ही अंदर उठती है आग अंदर की आग से ही दबती शीतल रात। अंदर की अग्नि होती जब-२ कमजोर झकझोर देती उम्र करते -२ तहकीकात। साथी उसको‌ ही जानिए जो ऐसे में सर्दी को नकारते हुए संभाले हालात वर्ना यह सर्दी और तारों में डूबीं रात गिना-गिना के तारे बता देती औकात।। ©Mohan Sardarshahari"

 Unsplash चलो बुनते हैं कुछ जज़्बात 
जुकाम है लगी हुई, होने वाली है रात।
दीवार की ओट में थोड़ी सेंक लेते हैं धूप
जमा हुआ कफ निकल रहा है 
सांसों को मिल रही है गर्मागर्म सौगात।
कपड़े लपेटने से सर्दी नहीं जाती
यह तो बस एक दिखावटी सी बात
खाने-पीने से ही अंदर उठती है आग
अंदर की आग से ही दबती शीतल रात।
अंदर की अग्नि होती जब-२ कमजोर
झकझोर देती उम्र करते -२ तहकीकात।
साथी उसको‌ ही जानिए जो ऐसे में 
सर्दी को नकारते हुए संभाले हालात
वर्ना यह सर्दी और तारों में डूबीं रात
गिना-गिना के तारे बता देती औकात।।

©Mohan Sardarshahari

Unsplash चलो बुनते हैं कुछ जज़्बात जुकाम है लगी हुई, होने वाली है रात। दीवार की ओट में थोड़ी सेंक लेते हैं धूप जमा हुआ कफ निकल रहा है सांसों को मिल रही है गर्मागर्म सौगात। कपड़े लपेटने से सर्दी नहीं जाती यह तो बस एक दिखावटी सी बात खाने-पीने से ही अंदर उठती है आग अंदर की आग से ही दबती शीतल रात। अंदर की अग्नि होती जब-२ कमजोर झकझोर देती उम्र करते -२ तहकीकात। साथी उसको‌ ही जानिए जो ऐसे में सर्दी को नकारते हुए संभाले हालात वर्ना यह सर्दी और तारों में डूबीं रात गिना-गिना के तारे बता देती औकात।। ©Mohan Sardarshahari

# जुकाम

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