बचपन की कश्ती अब किनारे लग गई गांव छूटा अब शहर के | हिंदी शायरी

"बचपन की कश्ती अब किनारे लग गई गांव छूटा अब शहर के द्वारे लग गई कमाने की लत क्या लगी जिंदगी पैसों के सहारे लग गई ©Vipin Neha"

 बचपन की कश्ती अब किनारे लग गई
गांव छूटा अब शहर के द्वारे लग गई
कमाने की लत क्या लगी जिंदगी पैसों के सहारे लग गई

©Vipin Neha

बचपन की कश्ती अब किनारे लग गई गांव छूटा अब शहर के द्वारे लग गई कमाने की लत क्या लगी जिंदगी पैसों के सहारे लग गई ©Vipin Neha

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