जै हो जननी जगत जननी अम्बा पल पल बीते नवम दिन कब आ | हिंदी कविता

"जै हो जननी जगत जननी अम्बा पल पल बीते नवम दिन कब आए हर पल उत्कर्ष मन में उत्कृष्ट रोम रोम भए मदमस्त आई माता की विसर्जन बेला निकल गए दिन समय बड़ा अनबेला जाना माता फिर जल्दी आना अपना प्रतिबिंब हमारे सहृदय में छोड़कर जाना मां अपनी ममता को अटल बनाना होना न मां आंखों के ओझल बस दुनिया की रीत निभाना जाते ही भक्तों के दिल में समा जाना मां तो मां है मां तेरी अनंत कहानी नहीं बखान कर सकते हम है अग्यानी आंखे नम मन हुआ उदास अब रह गई आश मां मा मां कर करे अरदास अग्यानी बालक हु मै करना सदा सतीश पर उपकार। 👏👏 मां 👏👏 🥲🥲🥲🥲🥲 सतीश गुप्ता ©satish gupta"

 जै हो जननी जगत जननी अम्बा 
पल पल बीते नवम दिन कब आए 

हर पल उत्कर्ष मन में उत्कृष्ट 
रोम रोम भए मदमस्त

आई माता की विसर्जन बेला
निकल गए दिन समय बड़ा अनबेला 

जाना माता फिर जल्दी आना
अपना प्रतिबिंब हमारे सहृदय में छोड़कर जाना

मां अपनी ममता को अटल बनाना
होना न मां आंखों के ओझल 

बस दुनिया की रीत निभाना
जाते ही भक्तों के दिल में समा जाना 

मां तो मां है मां तेरी अनंत कहानी
नहीं बखान कर सकते हम है अग्यानी

आंखे नम मन हुआ उदास 
अब रह गई आश 

मां मा मां कर करे अरदास 
अग्यानी बालक हु मै करना सदा सतीश पर उपकार।

   👏👏 मां 👏👏

🥲🥲🥲🥲🥲
सतीश गुप्ता

©satish gupta

जै हो जननी जगत जननी अम्बा पल पल बीते नवम दिन कब आए हर पल उत्कर्ष मन में उत्कृष्ट रोम रोम भए मदमस्त आई माता की विसर्जन बेला निकल गए दिन समय बड़ा अनबेला जाना माता फिर जल्दी आना अपना प्रतिबिंब हमारे सहृदय में छोड़कर जाना मां अपनी ममता को अटल बनाना होना न मां आंखों के ओझल बस दुनिया की रीत निभाना जाते ही भक्तों के दिल में समा जाना मां तो मां है मां तेरी अनंत कहानी नहीं बखान कर सकते हम है अग्यानी आंखे नम मन हुआ उदास अब रह गई आश मां मा मां कर करे अरदास अग्यानी बालक हु मै करना सदा सतीश पर उपकार। 👏👏 मां 👏👏 🥲🥲🥲🥲🥲 सतीश गुप्ता ©satish gupta

#navratri 11 अक्टूबर 2024

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