Unsplash **मेरा नज़रिया**
मेरा नज़रिया, मेरी पहचान,
देखता हूँ दुनिया को खुले आसमान।
जो धुंध में छुपे हैं रास्ते,
उन्हें रोशनी से सजा दूँ, ये मेरा वादा है।
हर मुश्किल में छिपा है हल,
हर बिखराव में छुपी है हलचल।
हर बात का जवाब है मेरे नज़रिए में,
सपनों का संसार है मेरे सफर में।
न मैं गिरा हूँ, न मैं रुकूँगा,
हर ठोकर को सीढ़ी बना, मैं चलूँगा।
आँधियाँ मेरी सोच को हिला नहीं सकती,
क्योंकि मेरा नज़रिया मुझे डिगा नहीं सकती।
जो दुनिया को लगे पागलपन,
वो मेरे लिए है सफर का इंधन।
ज़िन्दगी के रंग मैं भरता रहूँगा,
अपना नज़रिया खुद गढ़ता रहूँगा।
अगर अंधेरों में दिखेगी रोशनी कहीं,
तो वो मेरा नज़रिया ही होगा सही।
सपनों को हकीकत में बदलूँगा मैं,
अपने नज़रिए से खुद को तराशूँगा मैं।
©Writer Mamta Ambedkar
#Book