सारे दिन जो व्यस्त फ़ोन में खेल रहा था पब्जी
अब चौराहे पऱ लगाके ठेला बेच रहा है सब्जी
पाँच हजार फ्रेंड जो उसके बनें फेसबुक वाले
कोई ना पूछे हाल चल बस पूछते हैं घरवाले
बेबी बेबी कहकर जिसको शॉपिंग रोज कराता
आर्डर आने पऱ उसके अब घर सब्जी पहुंचाता
ट्विटर पऱ कोई ट्वीट नहीं, ना रील कोई इंस्टा पऱ
शोर मचाता सारे दिन ताज़ा हैं मटर टमाटर
कट्टर अपने धर्म को लेकर जो हरदम रहता था
नहीं झूकूंगा किसी के आगे अक्सर ये कहता था
अब खालिद श्याम सभी को देता सब्जी एक भाव में
पागल था कितना सोच रहा है बैठा नीम छाओं में
जाति नहीं है बड़ी कोई भी सबसे बड़ा करम है
समझता है सबको अब जीवन का यही मरम है।
©नवीन की कलम
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