White खो गए हम भीड़ में खुद से अनजाने हुए
अब भला क्या बहार क्या मौसम मिले ना मिले
बेबस जिम्मेदारियों से जिंदगी दो चार हुई है
रात लम्बी है रह गुजर की यूं सहर मिले ना मिले
खबर रख लो अपनो की खैर ख्वाह बन कर
ना जाने किस घड़ी खबर फिर मिले ना मिले
इस तरह छोड़ कर जाने का कसूर क्यों करते हो
मरने का खयाल तन्हाई यूं में जहर मिले ना मिले
सलीके की जिंदगी तरीके से पता खुदका रख लो
ये जेहन ये सेहन सुहाना शहर फिर मिले ना मिले
दूर क्यूं हो नज़र के नजराने मयखाने से अंबुज
ना जाने राहे सफर कोई नज़र यूं मिले ना मिले
©अंबिका अनंत अंबुज
#good_night