White पल्लव की डायरी राष्ट्रवाद की जड़ो में, भय भूख | हिंदी कविता

"White पल्लव की डायरी राष्ट्रवाद की जड़ो में, भय भूख और भ्रष्टाचार का जहर भरा जा रहा है विविधता वाला देश हमारा लेकिन इसकी अखण्डता को खण्ड खण्ड किया जा रहा है बड़ बोली हो गयी सियासत एक दुसरो की जाति और धर्मो के प्रति नफरत फैलाकर लूटने,चोरी करने और बेटी को भगाने का मंत्र फूंका जा रहा है तरक्की का नही बचा नेताओ में जज्बा जनता को बांटकर लोकतंत्र का नाटक खेला जा रहा है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव""

 White पल्लव की डायरी
राष्ट्रवाद की जड़ो में,
भय भूख और भ्रष्टाचार
का जहर भरा जा रहा है
विविधता वाला देश हमारा
लेकिन इसकी अखण्डता को
खण्ड खण्ड किया जा रहा है
बड़ बोली हो गयी सियासत
एक दुसरो की जाति और धर्मो के प्रति 
नफरत फैलाकर
लूटने,चोरी करने और बेटी को भगाने का
मंत्र फूंका जा रहा है
तरक्की का नही बचा नेताओ में जज्बा
जनता को बांटकर
लोकतंत्र का नाटक खेला जा रहा है
                                           प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

White पल्लव की डायरी राष्ट्रवाद की जड़ो में, भय भूख और भ्रष्टाचार का जहर भरा जा रहा है विविधता वाला देश हमारा लेकिन इसकी अखण्डता को खण्ड खण्ड किया जा रहा है बड़ बोली हो गयी सियासत एक दुसरो की जाति और धर्मो के प्रति नफरत फैलाकर लूटने,चोरी करने और बेटी को भगाने का मंत्र फूंका जा रहा है तरक्की का नही बचा नेताओ में जज्बा जनता को बांटकर लोकतंत्र का नाटक खेला जा रहा है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#happy_independence_day तरक्की का नही बचा जज्बा नेताओं में

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