अब ना होगा ये खेल चाहत का,अब मोहब्बत ना दुबारा होगा।
तेरे बिन ना किसी के होंगे हम,और ना अब कोई हमारा होगा।
जो ना एक दूजे के हुए दोनों,फिर ना कोई वजूद मेरा हो।
बस यही है दुआ मेरी रब से,तेरे बावजूद ना कोई मेरा हो।
तुझसे उम्मीद ने है रखा जिंदा,ना और कोई सहारा होगा।
अब ना होगा ये खेल चाहत का,अब मोहब्बत ना दुबारा होगा।
तेरे बिन ना किसी के होंगे हम,और ना अब कोई हमारा होगा।
जो तेरी चाहत में ना खरा उतरा,फिर ना ये जहान मेरा हो।
राते हो विरह की सब काली,सांसे थम जाए ध्यान तेरा हो।
देखना खुद को आईने में तुम,ज़ेहन मे ज़िक्र हमारा होगा।।
अब ना होगा ये खेल चाहत का,अब मोहब्बत ना दुबारा होगा।
तेरे बिन ना किसी के होंगे हम,और ना अब कोई हमारा होगा।
जो तूने छोड़ा जहां ये छूटेगा,मुझसे मेरा खुदा भी रूठेगा।
देखना तुम भी आसमानों में,कोई उस दिन सितारा टूटेगा।
गर मुकम्मल ना जो हुए वादे,तो ना बिन तेरे गुज़ारा होगा।
अब ना होगा ये खेल चाहत का,अब मोहब्बत ना दुबारा होगा।
तेरे बिन ना किसी के होंगे हम,और ना अब कोई हमारा होगा।
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©Anand S.....