उठा उठा कर जिम्मेदारी, कंधे झुक जाते हैं। करते हैं | हिंदी Poetry Vide

"उठा उठा कर जिम्मेदारी, कंधे झुक जाते हैं। करते हैं संघर्ष रात दिन, चैन नहीं खाते हैं। पीछे हटते नहीं लगा देते हैं सारी शक्ति, खून पसीना बन बहता, तब कहीं फतह पाते हैं। ©Kalpana Tomar "

उठा उठा कर जिम्मेदारी, कंधे झुक जाते हैं। करते हैं संघर्ष रात दिन, चैन नहीं खाते हैं। पीछे हटते नहीं लगा देते हैं सारी शक्ति, खून पसीना बन बहता, तब कहीं फतह पाते हैं। ©Kalpana Tomar

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