किसने रोका है तुम्हें दिल से मुस्कुराने से,
देखा है ग़म में डूबे हो तुम एक ज़माने से।
कमियाँ ढूँढ़ने वालों की कोई कमी नहीं यहाँ,
नज़र ना चुराया करो तुम किसी से, बहाने से।
सुनो! सुलझ ही जाएगी हर उलझन की डोर,
रोको ना तुम ख़ुद की हिम्मत आज़माने से।
दिल की कसक तुम कभी ज़ाहिर तो करो,
कुछ हासिल ना होगा यूंँ अश्क़ छुपाने से।
होकर बेख़ौफ़ ज़िन्दगी जीना सीख लो तुम,
यूँ डर ना जाया करो किसी के भी डराने से।
बड़ी मुश्किल से मिलते हैं हमदर्द ज़िंदगी में,
दर्द हल्का होगा उनके साथ पल बिताने से।
हो जाएगी हासिल तुम्हें हर मंज़िल 'शिखा',
क्यों झिझकते हो तुम क़दम आगे बढ़ाने से।
--दीपशिखा
©khyalon ka Safar
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