हां सही है, इसमें उदासी कैसी,
ये जानते सब है,फिर उदासी कैसी,
तुझे बिछड़ना है, एक दिन ,हमेशा के लिए,
ये जनता है, तू फिर उदासी कैसी,,,
अपने, सपने, - सपने , अपने
ये फर्क पहचानता तो, है तू,
फिर अनजान रह ले, या जानकर सह ले,
कुछ फरिश्ते है, जिन्हे जानता तो, है तू,
मिलना,बिछड़ना - बिछड़ना,मिलना,
ये हकीकत है, जिसे जानता तो, है तू,
हां सही है, इसमें उदासी कैसी,
ये जानते सब है,फिर उदासी कैसी।।
©Matangi upadhyay
हकीकत ए जिंदगी ☺️☺️
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