नाम इश्क़ है मेरा,
जवां दिलों की धड़कन ठिकाना है मेरा ।
रब से भी ज्यादा,प्रेमी जपते मेरा नाम,
गुलाबी ख़ुमार तप कर बन जाता सुर्ख़रू फ़ाम।
लग गया जब किसी महबूब को मेरा रोग,
मरीज - ए - इश्क़ ,फिर सहे न सनम का वियोग ।
लैला - मजनूं, हीर - रांझा, शीरी - फरहाद....
हर उश़्शाक था एक दूजे के लिए बना।
मेरी दीवानगी में ऐसे डूबे,
सनम का ले नाम ,हो गए फ़ना।
मुझसे की जिसने गहरी क़ुरबत
उसे मिली रुसवाइयां , और मिली
इश्क़ में तुरबत।।
©Mona Chhabra
# नाम इश्क़ है मेरा#