White आलम ए बेहोशी को ज़रा अहसास ए इश्क कैसे कहा ज | हिंदी Shayari

"White आलम ए बेहोशी को ज़रा अहसास ए इश्क कैसे कहा जाए, दर्द ए इश्क में ए खुदा ना जाने अब क्यों मेरा दिल बैठा जाए, नादान मन  है अब यहां जो इश्क में पाने की जिद किए जाए, रूह का सुकून तो जब हो तब वो हर पल बस इश्क देता जाए, कितना बहका हूं तेरे हुस्न की कश्मकश में तेरे दिल से पूछा जाए, मिला ही नही मौका जो तेरी रूह में मेरा इश्क फिर मिलाया जाए, वो  सावन आता नही अब की बारिश की बूंदे तेरे तन को छू जाए, ऐसा होता नही की इश्क खामोश हो और धरती प्यासी रह जाए, झूठ कहते है वो सख्श अब यहां जो कहते तेरे बिन हम मर जाए, एक जरा सी बात पे ही अब यहां सच्चे इश्क की हत्या हो जाए, जब कोई खास दर्द बन रुलाए तब प्याला ए शब सूकू दे जाए, दिल रोना तो सीख गया तेरे बिना पर अब कैसे मुस्कुराया जाए, मेरे दिल को चीरती तेरी नादानियां बता तू उन्हे कैसे भूला जाए, विदा तो हम कर देंगे तुझे जब तू कहे पर तेरी यादों से कैसे जाए, बैठ तो जाएं पास तेरे ए सनम पर तेरी करीबी मेरी जान ना ले जाए, कुछ खास तो नही ए सनम अब कमल मेरी भी बात तेरी करती जाए।।                                                                                  _जितेंद्र ©Alfaaz dil se"

 White आलम ए बेहोशी को ज़रा अहसास ए इश्क कैसे कहा जाए,
दर्द ए इश्क में ए खुदा ना जाने अब क्यों मेरा दिल बैठा जाए,

नादान मन  है अब यहां जो इश्क में पाने की जिद किए जाए,
रूह का सुकून तो जब हो तब वो हर पल बस इश्क देता जाए,

कितना बहका हूं तेरे हुस्न की कश्मकश में तेरे दिल से पूछा जाए,
मिला ही नही मौका जो तेरी रूह में मेरा इश्क फिर मिलाया जाए,

वो  सावन आता नही अब की बारिश की बूंदे तेरे तन को छू जाए,
ऐसा होता नही की इश्क खामोश हो और धरती प्यासी रह जाए,

झूठ कहते है वो सख्श अब यहां जो कहते तेरे बिन हम मर जाए,
एक जरा सी बात पे ही अब यहां सच्चे इश्क की हत्या हो जाए,

जब कोई खास दर्द बन रुलाए तब प्याला ए शब सूकू दे जाए,
दिल रोना तो सीख गया तेरे बिना पर अब कैसे मुस्कुराया जाए,

मेरे दिल को चीरती तेरी नादानियां बता तू उन्हे कैसे भूला जाए,
विदा तो हम कर देंगे तुझे जब तू कहे पर तेरी यादों से कैसे जाए,

बैठ तो जाएं पास तेरे ए सनम पर तेरी करीबी मेरी जान ना ले जाए,
कुछ खास तो नही ए सनम अब कमल मेरी भी बात तेरी करती जाए।।

                                                                                 _जितेंद्र

©Alfaaz dil se

White आलम ए बेहोशी को ज़रा अहसास ए इश्क कैसे कहा जाए, दर्द ए इश्क में ए खुदा ना जाने अब क्यों मेरा दिल बैठा जाए, नादान मन  है अब यहां जो इश्क में पाने की जिद किए जाए, रूह का सुकून तो जब हो तब वो हर पल बस इश्क देता जाए, कितना बहका हूं तेरे हुस्न की कश्मकश में तेरे दिल से पूछा जाए, मिला ही नही मौका जो तेरी रूह में मेरा इश्क फिर मिलाया जाए, वो  सावन आता नही अब की बारिश की बूंदे तेरे तन को छू जाए, ऐसा होता नही की इश्क खामोश हो और धरती प्यासी रह जाए, झूठ कहते है वो सख्श अब यहां जो कहते तेरे बिन हम मर जाए, एक जरा सी बात पे ही अब यहां सच्चे इश्क की हत्या हो जाए, जब कोई खास दर्द बन रुलाए तब प्याला ए शब सूकू दे जाए, दिल रोना तो सीख गया तेरे बिना पर अब कैसे मुस्कुराया जाए, मेरे दिल को चीरती तेरी नादानियां बता तू उन्हे कैसे भूला जाए, विदा तो हम कर देंगे तुझे जब तू कहे पर तेरी यादों से कैसे जाए, बैठ तो जाएं पास तेरे ए सनम पर तेरी करीबी मेरी जान ना ले जाए, कुछ खास तो नही ए सनम अब कमल मेरी भी बात तेरी करती जाए।।                                                                                  _जितेंद्र ©Alfaaz dil se

#rajdhani_night

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