ज़माने की धूप से खुद तू को बचाया कर। दुनिया बूरी ह | हिंदी शायरी

"ज़माने की धूप से खुद तू को बचाया कर। दुनिया बूरी है बिना नकाब बाहर न आया कर।। तेरी एक झलक को तरसते सारे दिवाने हैं। कपड़े सुखाने के बहाने छत पर आया कर।। ©Sonu Kumar"

 ज़माने की धूप से खुद तू को बचाया कर।
दुनिया बूरी है बिना नकाब बाहर न आया कर।।
तेरी एक झलक को तरसते सारे दिवाने हैं।
कपड़े सुखाने के बहाने छत पर आया कर।।

©Sonu Kumar

ज़माने की धूप से खुद तू को बचाया कर। दुनिया बूरी है बिना नकाब बाहर न आया कर।। तेरी एक झलक को तरसते सारे दिवाने हैं। कपड़े सुखाने के बहाने छत पर आया कर।। ©Sonu Kumar

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