White " इक ख़्याल हम से भी हैं तुम हो जो कहीं मुकर रहे ,
तुम्हें अंदाजा हैं कोई इस तरह ,
रुख तो किया मैंने तेरे गलियों का ,
इक तुम हो जो दरीचों पे नज़र नहीं आ रहे . "
--- रबिन्द्र राम
©Rabindra Kumar Ram
" इक ख़्याल हम से भी हैं तुम हो जो कहीं मुकर रहे ,
तुम्हें अंदाजा हैं कोई इस तरह ,
रुख तो किया मैंने तेरे गलियों का ,
इक तुम हो जो दरीचों पे नज़र नहीं आ रहे . "
--- रबिन्द्र राम
#ख़्याल #मुकर #अंदाजा