White त्रिपुरारी, तांडव-नायक, महाकाल का नाम, विन | हिंदी कविता

"White त्रिपुरारी, तांडव-नायक, महाकाल का नाम, विनाश का नायक वह, सृष्टि का महाधाम। त्रिशूल धरे जो त्रिपुर बंधन तोड़ चला, मृत्यु से परे वह, स्वयं काल से लड़ा। गर्जना से उसकी कंपित हो ये ब्रह्मांड, शिव का हुंकार है, जगत का वह हुंकार तीन नेत्रों में ज्वाला, भस्म-अंग पर शान, कालजयी महादेव का जग में गूंजे गान। त्रिपुरासुर की माया जब सिर उठाए, महाकाल ने क्रोध में तांडव रचाए। त्रिशूल के प्रहार से भस्म हुआ अभिमान, विनाश में ही निर्माण का छुपा हुआ विज्ञान। हर हर भोले! गूंज उठे हैं कण-कण, महाकाल की महिमा से कंपित है जीवन। त्रिपुरारी, विनाशक, सृष्टि के आधार, तेरा ही जयघोष है, सदा हमारा शृंगार। ©samandar Speaks"

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त्रिपुरारी, तांडव-नायक, महाकाल का नाम,
विनाश का नायक वह, सृष्टि का महाधाम।
त्रिशूल धरे जो त्रिपुर बंधन तोड़ चला,
मृत्यु से परे वह, स्वयं काल से लड़ा।

गर्जना से उसकी कंपित हो ये ब्रह्मांड,
शिव का हुंकार है, जगत का वह हुंकार
तीन नेत्रों में ज्वाला, भस्म-अंग पर शान,
कालजयी महादेव का जग में गूंजे गान।

त्रिपुरासुर की माया जब सिर उठाए,
महाकाल ने क्रोध में तांडव रचाए।
त्रिशूल के प्रहार से भस्म हुआ अभिमान,
विनाश में ही निर्माण का छुपा हुआ विज्ञान।

हर हर भोले! गूंज उठे हैं कण-कण,
महाकाल की महिमा से कंपित है जीवन।
त्रिपुरारी, विनाशक, सृष्टि के आधार,
तेरा ही जयघोष है, सदा हमारा शृंगार।

©samandar Speaks

White त्रिपुरारी, तांडव-नायक, महाकाल का नाम, विनाश का नायक वह, सृष्टि का महाधाम। त्रिशूल धरे जो त्रिपुर बंधन तोड़ चला, मृत्यु से परे वह, स्वयं काल से लड़ा। गर्जना से उसकी कंपित हो ये ब्रह्मांड, शिव का हुंकार है, जगत का वह हुंकार तीन नेत्रों में ज्वाला, भस्म-अंग पर शान, कालजयी महादेव का जग में गूंजे गान। त्रिपुरासुर की माया जब सिर उठाए, महाकाल ने क्रोध में तांडव रचाए। त्रिशूल के प्रहार से भस्म हुआ अभिमान, विनाश में ही निर्माण का छुपा हुआ विज्ञान। हर हर भोले! गूंज उठे हैं कण-कण, महाकाल की महिमा से कंपित है जीवन। त्रिपुरारी, विनाशक, सृष्टि के आधार, तेरा ही जयघोष है, सदा हमारा शृंगार। ©samandar Speaks

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