आंखें मूंदकर बैठे हों तसव्वुर में किसी के,
ऐसे में छम से वह आ जाये तो क्या हो।
लब खामोश हों, पर दिल की धड़कन बोले,
उसकी मुस्कान नजरों को चुरा जाये तो क्या हो।
हवा संग उसके जुल्फों की महक आकर,
हर सांस को दीवाना बना जाये तो क्या हो।
बात कहने से पहले ही आंखें सब कह दें,
और वह हौले से मुस्कुरा जाये तो क्या हो।
पलकों की चिलमन पर वो तस्वीर सी ठहरे,
और वक़्त थमकर इश्क़ सिखा जाये तो क्या हो।
दिल की ख्वाहिशें आसमां छूने लगें,
वो प्यार से बस अपना बना जाये तो क्या हो।
©Ashok Verma "Hamdard"
दीवानापन