सोचते ही मत रहिए" कोई देकर दस्तक, चला गया दिल के | हिंदी कविता Vi

"सोचते ही मत रहिए" कोई देकर दस्तक, चला गया दिल के दरवाज़े पर, कम से कम हंसकर, उसका अभिवादन तो करिए। हो सकता है तक़दीर स्वयं चलकर आई हो, कौन कौन कहां से आया होगा, बेकार सोचते मत रहिए। यह दुनिया है इस दुनिया में, कभी-कभी कुछ अनहोनी घट जाती है, घर बैठे ही कुछ लोगों की क़िस्मत भी खुल जाती है, अब सोचते ही मत रहिए। ©Anuj Ray "

सोचते ही मत रहिए" कोई देकर दस्तक, चला गया दिल के दरवाज़े पर, कम से कम हंसकर, उसका अभिवादन तो करिए। हो सकता है तक़दीर स्वयं चलकर आई हो, कौन कौन कहां से आया होगा, बेकार सोचते मत रहिए। यह दुनिया है इस दुनिया में, कभी-कभी कुछ अनहोनी घट जाती है, घर बैठे ही कुछ लोगों की क़िस्मत भी खुल जाती है, अब सोचते ही मत रहिए। ©Anuj Ray

# सोचते ही मत रहिए"

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