White ये धड़कते पत्थर हैं, कोई दिल नहीं, छुपे दर्द | हिंदी कविता

"White ये धड़कते पत्थर हैं, कोई दिल नहीं, छुपे दर्द के किस्से, कोई सिल नहीं। खुशबुओं की चादर में, जो बहार लिपटी, हर कांटे ने कहा, यहां फूल नहीं। चमकती रोशनी में, साये खो गए, अंधेरों ने पुकारा, यहां दिल नहीं। ख्वाबों की रवानी में, जो बहा पानी, हकीकत ने कहा, ये मुकम्मल नहीं। तू फलक पर चमके, ज़मीं भूल जाए, मगर याद रहे, ये हासिल नहीं। हर सांस में समंदर की गहराई है, मगर साहिल पे कोई कश्ती सलामत नहीं। हर आह ग़ज़ल है, हर आंसू शेर, मगर सुनने को कोई महफ़िल नहीं। राजीव ©samandar Speaks"

 White ये धड़कते पत्थर हैं, कोई दिल नहीं,
छुपे दर्द के किस्से, कोई सिल नहीं।

खुशबुओं की चादर में, जो बहार लिपटी,
हर कांटे ने कहा, यहां फूल नहीं।

चमकती रोशनी में, साये खो गए,
अंधेरों ने पुकारा, यहां दिल नहीं।

ख्वाबों की रवानी में, जो बहा पानी,
हकीकत ने कहा, ये मुकम्मल नहीं।

तू फलक पर चमके, ज़मीं भूल जाए,
मगर याद रहे, ये हासिल नहीं।

हर सांस में समंदर की गहराई है,
मगर साहिल पे कोई कश्ती सलामत नहीं।

हर आह ग़ज़ल है, हर आंसू शेर,
मगर सुनने को कोई महफ़िल नहीं।
राजीव

©samandar Speaks

White ये धड़कते पत्थर हैं, कोई दिल नहीं, छुपे दर्द के किस्से, कोई सिल नहीं। खुशबुओं की चादर में, जो बहार लिपटी, हर कांटे ने कहा, यहां फूल नहीं। चमकती रोशनी में, साये खो गए, अंधेरों ने पुकारा, यहां दिल नहीं। ख्वाबों की रवानी में, जो बहा पानी, हकीकत ने कहा, ये मुकम्मल नहीं। तू फलक पर चमके, ज़मीं भूल जाए, मगर याद रहे, ये हासिल नहीं। हर सांस में समंदर की गहराई है, मगर साहिल पे कोई कश्ती सलामत नहीं। हर आह ग़ज़ल है, हर आंसू शेर, मगर सुनने को कोई महफ़िल नहीं। राजीव ©samandar Speaks

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