Google ठौर ठौर पर चल रही गुफ्तगू कैसी मेरे पास तो | हिंदी Poetry

"Google ठौर ठौर पर चल रही गुफ्तगू कैसी मेरे पास तो एक महताब रहता है।। कैसा शिकवा गिला कैसा समेट लूं मैं मिरा दिल अब बडा अजाब लगता है।। कहते हैं गीत गजल लिखकर क्या होगा कुछ का पता नहीं पर एक बात है शिल्पा मिरा दिल ए रजा बेहद तराब रहता है।। चले जाना है एक दिन कफन ओढ़कर इस बात का किसी को न मलाल रहता है।। ©Shilpa Yadav"

 Google ठौर ठौर पर चल रही गुफ्तगू कैसी
मेरे पास तो एक महताब रहता है।।
कैसा शिकवा गिला कैसा समेट लूं मैं
मिरा दिल अब बडा अजाब लगता है।।
कहते हैं गीत गजल लिखकर क्या होगा
कुछ का पता नहीं पर एक बात है शिल्पा
मिरा दिल ए रजा बेहद  तराब रहता है।।
चले जाना है एक दिन कफन ओढ़कर 
इस बात का किसी को न मलाल रहता है।।

©Shilpa Yadav

Google ठौर ठौर पर चल रही गुफ्तगू कैसी मेरे पास तो एक महताब रहता है।। कैसा शिकवा गिला कैसा समेट लूं मैं मिरा दिल अब बडा अजाब लगता है।। कहते हैं गीत गजल लिखकर क्या होगा कुछ का पता नहीं पर एक बात है शिल्पा मिरा दिल ए रजा बेहद तराब रहता है।। चले जाना है एक दिन कफन ओढ़कर इस बात का किसी को न मलाल रहता है।। ©Shilpa Yadav

#Manmohan_Singh_Dies #shilpayadavpoetry#nojotowritershilpayadav#shilpayadavpoetry

People who shared love close

More like this

Trending Topic