गुरमुख समझाते हैं के जब हम गुरवाणी रूपी विद्या को विचारतें हैं गुरमुखो के दिये ज्ञान द्वारा तो हमारा मन परूपकारी बन जाता है यानी सब को गुरबाणी की रोशनी यानी नाम के बारे मे जनाने के लिये गुरुमुखों को मिलाने हेतु तैयार हो जाता है जिससे और जीव मन भी गुर उपदेश ले कर तर जाते हैं। गुरु जी फ़रमान करते हैं,"विद्या विचारी तां परूपकारी।।"
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#विद्या_विचारी_तां_परूपकारी