आज मैं यूहीं लिख रहा हूँ वजह कुछ खास नहीं है मेरे | हिंदी शायरी

"आज मैं यूहीं लिख रहा हूँ वजह कुछ खास नहीं है मेरे लिखने को जो भी मुझे सिखाने में लगे हैं वो समझ जाय कि वक्त गया मेरे सीखने को अब समय है मेरे निखरने का वक्त के साथ खुद को सिंचने का लीन रहता हूँ अपने कर्म में सबको लगता है कि मैं बदल गया हूँ वो क्यों नहीं समझते कि कौन मेरा कौन पराया ये मैं समझ गया हूँ वक्त आने पे सब खींच लेते हैं अपने-अपने कदम पर मैं हमेशा रहूं खड़ा इनके लिए ये भी है इनको भरम वो समय कुछ और था जब मैं रहता तैयार हरदम बिकने को आज मैं यूहीं लिख रहा हूँ वजह कुछ खास नहीं है मेरे लिखने को । ©सिंह एक शायर"

 आज मैं यूहीं लिख रहा हूँ वजह कुछ खास नहीं है
 मेरे लिखने को
जो भी मुझे सिखाने में लगे हैं वो समझ जाय कि वक्त गया मेरे सीखने  को
अब समय है मेरे निखरने का
 वक्त के साथ खुद को सिंचने का
लीन रहता हूँ अपने कर्म में सबको लगता है कि मैं बदल गया हूँ 
वो क्यों नहीं समझते कि कौन मेरा कौन पराया ये मैं समझ गया हूँ
वक्त आने पे सब खींच लेते हैं अपने-अपने कदम
पर मैं हमेशा रहूं खड़ा इनके लिए ये भी है इनको भरम
वो समय कुछ और था जब मैं रहता तैयार हरदम बिकने को
आज मैं यूहीं लिख रहा हूँ वजह कुछ खास नहीं है मेरे 
लिखने  को  ।

©सिंह एक शायर

आज मैं यूहीं लिख रहा हूँ वजह कुछ खास नहीं है मेरे लिखने को जो भी मुझे सिखाने में लगे हैं वो समझ जाय कि वक्त गया मेरे सीखने को अब समय है मेरे निखरने का वक्त के साथ खुद को सिंचने का लीन रहता हूँ अपने कर्म में सबको लगता है कि मैं बदल गया हूँ वो क्यों नहीं समझते कि कौन मेरा कौन पराया ये मैं समझ गया हूँ वक्त आने पे सब खींच लेते हैं अपने-अपने कदम पर मैं हमेशा रहूं खड़ा इनके लिए ये भी है इनको भरम वो समय कुछ और था जब मैं रहता तैयार हरदम बिकने को आज मैं यूहीं लिख रहा हूँ वजह कुछ खास नहीं है मेरे लिखने को । ©सिंह एक शायर

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