White पल्लव की डायरी
रप्तार की चपेट में
जिंदगी आ चुकी है
बहकी हुयी हर मंजिले
जीवन को निपटा रही है
विकारों से विगड़े है विचार
तन मन मे तन्दुरुस्ती नही आ रही है
हम हम की रट लगाकर
रिश्तों की गाड़ी पटरी से उतरी जा रही है
प्रवीण जैन पल्लव
©Praveen Jain "पल्लव"
#Sad_Status तन मन मे तन्दुरुस्ती नही आ रही है