इश्क़ की राह में जब दूरियाँ बढ़ जाएं,
हर नफ़स में सर्द हवा, क्या ख़ता हो?
जब तुम्हारे बिना हर पल गुम सा लगता है,
क्या वो अधूरी मोहब्बत ही हमारी सज़ा हो?
दिल की गहराई में जब तन्हाई की गूंज हो,
क्या वो खामोशी ही अब हमारी आवाज़ हो?
तुमसे बिछड़ने के बाद, हर राह वीरान सी लगती है,
क्या वो फासला ही हमारी चाहत की सजा हो?
©नवनीत ठाकुर
#नवनीतठाकुर
इश्क़ की राह में जब दूरियाँ बढ़ जाएं,
हर नफ़स में सर्द हवा, क्या ख़ता हो?
जब तुम्हारे बिना हर पल गुम सा लगता है,
क्या वो अधूरी मोहब्बत ही हमारी सज़ा हो?
दिल की गहराई में जब तन्हाई की गूंज हो,