White कभी ज़मीं पे कभी आसमाँ पे छाए जा
उजाड़ने के लिए बस्तियाँ बसाए जा
ख़िज़र का साथ दिए जा क़दम बढ़ाए जा
फ़रेब खाए हुए का फ़रेब खाए जा
तिरी नज़र में सितारे हैं ऐ मिरे प्यारे
उड़ाए जा तह-ए-अफ़्लाक ख़ाक उड़ाए जा
नहीं इताब-ए-ज़माना ख़िताब के क़ाबिल
तिरा जवाब यही है कि मुस्कुराए जा
अनाड़ियों से तुझे खेलना पड़ा ऐ दोस्त
सुझा सुझा के नई चाल मात खाए जा
शराब ख़ुम से दिए जा नशा तबस्सुम से
कभी नज़र से कभी जाम से पिलाए जा
हाफिज जलंधरी
©aditi the writer
#GoodMorning @Rajat Bhardwaj @Kumar Shaurya @j a s s OZL आगाज़