थक रहा हूँ सब कुछ ठीक करते करते, छूट रहा है सब कुछ | हिंदी विचार Video

"थक रहा हूँ सब कुछ ठीक करते करते, छूट रहा है सब कुछ धीरे धीरे, खो रहा हूँ मैं भी खुद को, कौन सी दौड़ है जो जीतना है मुझें? अब बातें करने का मन नही करता, जैसे कुछ बचा ही नही अब, मेरे हिस्से में अब बस बचा है अकेलापन हां! अब मैं निःशब्द होना चाहता हूँ अब मैं मौन होना चाहता हूँ अब मैं शून्य होना चाहता हूँ अब मैं मुक्त होना चाहता हूँ अब मैं सुकून चाहता हूँ ©SHASHIKANT "

थक रहा हूँ सब कुछ ठीक करते करते, छूट रहा है सब कुछ धीरे धीरे, खो रहा हूँ मैं भी खुद को, कौन सी दौड़ है जो जीतना है मुझें? अब बातें करने का मन नही करता, जैसे कुछ बचा ही नही अब, मेरे हिस्से में अब बस बचा है अकेलापन हां! अब मैं निःशब्द होना चाहता हूँ अब मैं मौन होना चाहता हूँ अब मैं शून्य होना चाहता हूँ अब मैं मुक्त होना चाहता हूँ अब मैं सुकून चाहता हूँ ©SHASHIKANT

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