हाथों में रच गई मेहंदी
पांव में सज गई पायल
चमक रही बिंदिया
सजनी को इंतजार है
अपने 'चांद' की
नाम तो उसका है 'करवा'
पर रस घोलता है 'मीठा'
सिंदूर दमक रहा है माथे पर
वो पहचान है
उसका गर्व है
मान है मर्यादा है
उसकी अस्मिता का रक्षक भी है
निगाहें जो उठे कातिल
उसके लिए तलवार है
तरकश की तीर है
हरता वो हर पीर है
दोस्त बनकर हंसाए
माता-पिता की तरह डांटे
बहन जैसे गलत-सही
ऊंच-नीच समझाए
वो हरदम रखे सलामत
करता हूं मैं यही कामना
समस्त माताओं-बहनों, दोस्तों को
करवा चौथ की हार्दिक शुभकामना।।
©सुशील राय "शिवा"
करवा चौथ