इतना भी क्या रोना? धूप छांव का आना जाना। लगा रह | हिंदी कविता Video

" इतना भी क्या रोना? धूप छांव का आना जाना। लगा रहेगा खोना पाना। जीवन पथ में उम्मीदों के पंख लगाकर उड़ते जाना। फिर संभव है ठोकर खाना उम्मीदों का खोना ! इतना भी क्या रोना? क्या लेकर आए जीवन में क्या लेकर है जाना रिश्ते नाते दौलत श़ोहरत तय सबका मिट जाना। क्षणभंगुर है जीवन ये है अटल मृत्यु का होना। इतना भी क्या रोना? ©Jupiter and its moon "

इतना भी क्या रोना? धूप छांव का आना जाना। लगा रहेगा खोना पाना। जीवन पथ में उम्मीदों के पंख लगाकर उड़ते जाना। फिर संभव है ठोकर खाना उम्मीदों का खोना ! इतना भी क्या रोना? क्या लेकर आए जीवन में क्या लेकर है जाना रिश्ते नाते दौलत श़ोहरत तय सबका मिट जाना। क्षणभंगुर है जीवन ये है अटल मृत्यु का होना। इतना भी क्या रोना? ©Jupiter and its moon

ऐसा भी क्या रोना!

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