ख्वाब और तुम Mai Aur Mere Ahesas ख्वाबो के दरिय | हिंदी कविता

"ख्वाब और तुम Mai Aur Mere Ahesas ख्वाबो के दरिया में तो हम भी चले आये, तुम्हे बस एक झलक देखने को... पर इस रात के शहर में मुझे अपनी नींद की कश्ती मिल ही नही रही💔💔 तुम्हे देखने को तो मैं तैर के भी आ जाऊ, पर कमबख्त तैरना भी नही आता...💔 न नींद की कश्ती है, न तैरना ही आता है..💔 और तुम्हे बस एक झलक देखने की तड़प...😌 लगता है तुम्हे देखने,, तुमसे मिलने की ये तलब, एक दिन मुझे डूबा कर ही छोड़ेगा ...! अफसोस बस इतना है कि , जब नींद थी तो ख्वाब देखने की वजह ना थी.. आज जो वजह है, तो नींद ही नही है..!! ©युगेश...🦋 19 October 2020 11 : 24 Am"

 ख्वाब और तुम 
Mai Aur Mere Ahesas


ख्वाबो के दरिया में तो हम भी चले आये, तुम्हे बस एक झलक देखने को...
पर इस रात के शहर में  मुझे अपनी नींद की कश्ती मिल ही नही रही💔💔

तुम्हे देखने को तो मैं तैर के भी आ जाऊ,
पर कमबख्त तैरना भी नही आता...💔

न नींद की कश्ती है, न तैरना ही आता है..💔
और तुम्हे बस एक झलक देखने की तड़प...😌

लगता है तुम्हे देखने,, तुमसे मिलने की ये तलब,
एक दिन मुझे डूबा कर ही छोड़ेगा ...!

अफसोस बस इतना है कि , जब नींद थी तो ख्वाब देखने की वजह ना थी..
आज जो वजह है, तो नींद ही नही है..!!

©युगेश...🦋
19 October 2020
11 : 24 Am

ख्वाब और तुम Mai Aur Mere Ahesas ख्वाबो के दरिया में तो हम भी चले आये, तुम्हे बस एक झलक देखने को... पर इस रात के शहर में मुझे अपनी नींद की कश्ती मिल ही नही रही💔💔 तुम्हे देखने को तो मैं तैर के भी आ जाऊ, पर कमबख्त तैरना भी नही आता...💔 न नींद की कश्ती है, न तैरना ही आता है..💔 और तुम्हे बस एक झलक देखने की तड़प...😌 लगता है तुम्हे देखने,, तुमसे मिलने की ये तलब, एक दिन मुझे डूबा कर ही छोड़ेगा ...! अफसोस बस इतना है कि , जब नींद थी तो ख्वाब देखने की वजह ना थी.. आज जो वजह है, तो नींद ही नही है..!! ©युगेश...🦋 19 October 2020 11 : 24 Am

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