वो लगे दूर मुझको,तो अम्बर से हैं।
दर्द का रिश्ता मेरा,दिसम्बर से हैं।
ना रही कुछ उम्मीदें,नए साल से।
हु मुखातिब तो मरने के,मै हाल से।
तारीखें सारी कहने,को नम्बर से है।
दर्द का रिश्ता,मेरा,दिसम्बर से है।
ना पता था कि,इतना कहर ढ़ाएगा।
ज़ख्म मुझपे जहां भर के बरपाएगा।
हुई बेरहम सारी राते,नवम्बर से है।
दर्द का रिश्ता मेरा,दिसम्बर से है।
अब उम्मीदें भरोस,से जिंदा हु मै।
कुछ दिन का जहां,में बाशिंदा हु मै।
मुझको जीना लगे,आडम्बर से है।
दर्द का रिश्ता मेरा,दिसम्बर से है।
©Anand S.....