इस दुनिया को अपना नाम तो दे, काम कोई भी हो आखिर तक | हिंदी कविता

"इस दुनिया को अपना नाम तो दे, काम कोई भी हो आखिर तक कोई अंजाम तो दे। मंजिल को आखिर कोई मुकाम तो दे। छोड़ दे अपने पैरों के निशाँ, हर कदम पर अपनी पहचान तो दे। दुनिया को दिखा दे अपनी हिम्मत का जज़्बा, किसी के रोकने से भी न रुके, वही सच्चा इन्सान तो दे। ©नवनीत ठाकुर"

 इस दुनिया को अपना नाम तो दे,
काम कोई भी हो आखिर तक कोई अंजाम तो दे।
मंजिल को आखिर कोई मुकाम तो दे।
छोड़ दे अपने पैरों के निशाँ, 
हर कदम पर अपनी पहचान तो दे।
दुनिया को दिखा दे अपनी हिम्मत का जज़्बा,
किसी के रोकने से भी न रुके, 
वही सच्चा इन्सान तो दे।

©नवनीत ठाकुर

इस दुनिया को अपना नाम तो दे, काम कोई भी हो आखिर तक कोई अंजाम तो दे। मंजिल को आखिर कोई मुकाम तो दे। छोड़ दे अपने पैरों के निशाँ, हर कदम पर अपनी पहचान तो दे। दुनिया को दिखा दे अपनी हिम्मत का जज़्बा, किसी के रोकने से भी न रुके, वही सच्चा इन्सान तो दे। ©नवनीत ठाकुर

"इस दुनिया को अपना नाम तो दे,
काम कोई भी हो आखिर तक कोई अंजाम तो दे,
मंजिल को कोई मुकाम तो दे,
छोड़ दे अपने पैरों के निशाँ
हर कदम पर अपनी पहचान तो दे।
दुनिया को दिखा दे अपनी हिम्मत का जज़्बा,
किसी के रोकने से भी न रुके, वही सच्चा इन्सान तो दे।"#नवनीतठाकुर

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