White एक तिकड़ी मंजी हुई परवाह जिसको नहीं कोई पत | हिंदी शायरी

"White एक तिकड़ी मंजी हुई परवाह जिसको नहीं कोई पत्तियों के खेल में मग्न चेले  करते रांधा-पोई अफसर तो फिर भी आये ठाठ वैसे कहीं ना जोई।। ©Mohan Sardarshahari"

 White 
एक तिकड़ी मंजी हुई
परवाह जिसको नहीं कोई 
पत्तियों के खेल में मग्न
चेले  करते रांधा-पोई
अफसर तो फिर भी आये
ठाठ वैसे कहीं ना जोई।।

©Mohan Sardarshahari

White एक तिकड़ी मंजी हुई परवाह जिसको नहीं कोई पत्तियों के खेल में मग्न चेले  करते रांधा-पोई अफसर तो फिर भी आये ठाठ वैसे कहीं ना जोई।। ©Mohan Sardarshahari

# चांद

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