नई शुरुआत
थोड़ी देर ठहर सी गई मेरी कलम,
शायद कुछ उलझनों में उलझ सी गई मेरी कलम,
यूं तो मोड़ जिंदगी में आते रहते हैं,
यूं तो अनेकों लोग हमारी बातों से सहमत नहीं होते हैं,
पर क्या लिखना छोड़ दूं मैं,
कहीं डर के बैठ जाऊं,
नहीं....यह मेरी आदत नही,
मैं फिर भी लिखूंगा नयी शुरूआत करूंगा,
अपने अंदाज में नयापन लाऊंगा,
लोगों को अपनी बात समझाऊंगा,
लोगों की बातों को समझने का प्रयास भी करूंगा,
पर लिखना बंद नहीं करूंगा,
मैं लेखक हूं पीड़ितों की करूण आवाज हूं,
भ्रष्टाचार बेईमानी पर करता गहरा वार हूं,
तीखी तलवार हूं,
समाज को कड़वी सच्चाई से रूबरू कराता हूं,
लोगों को नयी दिशा प्रदान करता हूं,
बेशक कुछ लोग बुरा कहें.. परवाह नहीं,
पर कुछ ग़लत लिख दूं... यह मुझे मंजूर नहीं,
अपने विचारों से समझौता कर लूं.. यह मुझे स्वीकार नहीं।
©Pinki Khandelwal
लिखना बेशक पसंद है पर कुछ ग़लत लिखूं यह संभव नहीं।