शहीद भगत सिंह पल्लव की डायरी
सोयी हुयी अब तरुणाई
तन मन सब
अंग्रेजियत में घुला है
जुर्म के सहते सितम
टुकड़ों को पाने,नोकरियो में खपा है
जी अधूरी करने गुलामी में पड़ा है
आता नही उबाल खूनों में
स्वाभिमान गिरवीं पड़ा है
कौन लाये यहाँ इंकलाब
जातियो मजहबो में
हिंदुस्तान बटा पड़ा है
किसे कीमत है शहीदों के शान की
वो तो फूट डालने वाले
नेताओं का मोहरा बना है
प्रवीण जैन पल्लव
©Praveen Jain "पल्लव"
#Deshbhakti किसे कीमत है शहीदों के शान की
#nojotohindi