दिन के कोरे कागज़ पर सूरज ने किये दस्तखत, और धूप

"दिन के कोरे कागज़ पर सूरज ने किये दस्तखत, और धूप से बोला- लिख दी तेरे नाम वसीयत ; हँसकर बोली धूप- "मुझे तो सब कुछ है मंज़ूर, लेकिंन मुझे नही इजाजत-उन वरसात के बादल~और सर्दियों के इस कोहरे की,, ©Harshit~Gangwar"

 दिन के कोरे कागज़ पर सूरज ने किये दस्तखत, 
और धूप से बोला- लिख दी तेरे नाम वसीयत ;
हँसकर बोली धूप- "मुझे तो सब कुछ है मंज़ूर, 
लेकिंन मुझे नही इजाजत-उन वरसात के बादल~और सर्दियों के इस कोहरे की,,

©Harshit~Gangwar

दिन के कोरे कागज़ पर सूरज ने किये दस्तखत, और धूप से बोला- लिख दी तेरे नाम वसीयत ; हँसकर बोली धूप- "मुझे तो सब कुछ है मंज़ूर, लेकिंन मुझे नही इजाजत-उन वरसात के बादल~और सर्दियों के इस कोहरे की,, ©Harshit~Gangwar

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