ख़ामोश रातों में भी एक शोर सुनाई देता है, यादों का | हिंदी शायरी
"ख़ामोश रातों में भी एक शोर सुनाई देता है,
यादों का पेहरा मेर चारो ओर दिखाई देता है।
है कसक ये कैसी मुझकों तेरी ,
तेरा अक्स मुझे चारों और दिखाई देता है।
अश्क भी अब धुंधले होगये है मेरे,
तू नही तेरा नूर मुझमें दिखाई देता है।"
ख़ामोश रातों में भी एक शोर सुनाई देता है,
यादों का पेहरा मेर चारो ओर दिखाई देता है।
है कसक ये कैसी मुझकों तेरी ,
तेरा अक्स मुझे चारों और दिखाई देता है।
अश्क भी अब धुंधले होगये है मेरे,
तू नही तेरा नूर मुझमें दिखाई देता है।