पता नहीं उसे समझा पाऊँगी भी या नहीं
खुशियाँ उसकी लौटा पाऊँगी भी या नहीं
उसे बहूत चाहती हूँ ये बता पाऊंगी भी या नहीं
पता नहीं मैं ख़ुद को माफ़ कर पाऊँगी भी या नहीं
पता नहीं ज़िंदगी की शुरुआत कैसे करूँगी
वेलकम करूँगी या तिरस्कार करूँगी
उसका कुछ तो उधार हैं अब भी मुझ पर
ना जाने मैं फिर से जी उठूगी या हर बार मरूंगी
©Swati Tyagi
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